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दिवाली की पौराणिक कथा 1

दिवाली की पौराणिक कथा (Diwali Katha/Story) : एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा ‘मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ’। लड़की ने कहा की ‘मैं अपने पिता से पूछ कर आऊंगी’। यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने ‘हां’ कर दी। दूसरे दिन से साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया। दोनों अच्छे मित्रों की तरह आपस में बातचीत करने लगीं। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी ने उसका दिल खोल कर स्वागत किया। उसकी खूब खातिर की। उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे। मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई। उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी। साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी क...

बृहस्पतिवार व्रत कथा 

बृहस्पतिवार व्रत माहात्म्य एवं विधि (Vidhi) इस व्रत को करने से समस्त इच्छ‌एं पूर्ण होती है और वृहस्पति महाराज प्रसन्न होते है । धन, विघा, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है । परिवार में सुख तथा शांति रहती है । इसलिये यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अतिफलदायक है । इस व्रत में केले का पूजन ही करें । कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्घ होकर मनोकामना पूर्ति के लिये वृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिये । दिन में एक समय ही भोजन करें । भोजन चने की दाल आदि का करें, नमक न खा‌एं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का प्रयोग करें, पीले चंदन से पूजन करें । पूजन के बाद भगवान वृहस्पति की कथा सुननी चाहिये । वृहस्पतिहवार व्रत कथा (Vrat- Katha) प्राचीन समय की बात है – एक बड़ा प्रतापी तथा दानी राजा था । वह प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखता एवं पूजा करता था ।यह उसकी रानी को अच्छा न लगता । न वह व्रत करती और न ही किसी को एक पैसा दान में देती । राजा को भी ऐसा करने से मना किया करती । एक समय की बात है कि राजा शिकार खेलने वन को चले ग‌ए । घर पर रानी और दासी थी । उस समय गुरु वृहस्पति साधु का रु...

Navratri

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नवरात्रि व्रत रखने वाले जरूर करें संध्या आरती, दुर्गा चालीसा का पाठ, जानिए पूजा विधि,  दुर्गा पूजा के नियम, विधि, सामग्री और अन्य सभी जानकारी... शारदीय नवरात्रि से संबंधित संपूर्ण जानकारी मिलेगी यहां। Navratri 2019 Puja Vidhi, Samagri, Mantra, Procedure : नवरात्रि पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस पर्व का पहला दिन पूजा पाठ की दृष्टि से काफी अहम होता है। कलश स्थापना के बाद नवरात्रि का व्रत रखने वाले सभी व्रतियों को मां दुर्गा का नियम पूर्वक पूजा पाठ करना होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मां जगदम्बा ने असुरों का संहार करने के लिए रुद्र रूप लिया था, इन सबके बारे में विस्तार से दुर्गा सप्तशति में बखान किया गया है। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि सुबह शाम दुर्गा चालीसा का पाठ करने से भी मां प्रसन्न होती हैं। आप हमारे इस ब्लॉग के जरिए अगले नौ दिन पूजा करने की विधि, संध्या आरती, नियमित दुर्गा पाठ आदि की विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं… Navratri Ki Hardik Shubhkamnaye:   नवरात्रि व्रत कथा पढ़ें यहां दुर्गा चालीसा का पूरे नवरात्रि करें पाठ:: नमो न...

Seven Vows of Hindu Marriage

हिंदू विवाह में सात फेरे और सात वचन किस किस को याद है विवाह के बाद कन्या वर के वाम अंग में बैठने से पूर्व उससे सात वचन लेती है। ##कन्या द्वारा वर से लिए जाने वाले सात वचन इस प्रकार है। **प्रथम वचन** तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:, वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !! (यहाँ कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।) किसी भी प्रकार के धार्मिक कृ्त्यों की पूर्णता हेतु पति के साथ पत्नि का होना अनिवार्य माना गया है। जिस धर्मानुष्ठान को पति-पत्नि मिल कर करते हैं, वही सुखद फलदायक होता है। पत्नि द्वारा इस वचन के माध्यम से धार्मिक कार्यों में पत्नि की सहभागिता, उसके महत्व को स्पष्ट किया गया है। **द्वितीय वचन** पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:, वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम !! (कन्...