Chaitra Navratri

नवरात्रि के नौ दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। भक्त पहले दिन घट स्थापना करते हैं। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त देखना बेहद ही जरूरी माना गया है।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्रि शब्द दो शब्दों को जोड़कर बना है जिसमें पहला शब्द ‘नव’ और दूसरा शब्द ‘रात्रि’ है जिसका अर्थ होता है नौ रातें। नवरात्रि पर्व भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। इस अवसर पर कई लोग पूरे नौ दिनों तक उपवास रख मां की अराधना करते हैं।


नवरात्रि व्रत का महत्व: नवरात्रि व्रत का पारण कन्याओं को भोजन कराके किया जाता है। कई लोग नवरात्रि के आठवें दिन कन्याओं का पूजन कर अपना व्रत खोल लेते हैं जिसे अष्टमी कहा जाता है। तो कई लोग आठ दिन व्रत रख नौवें दिन पूजन कर व्रत खोलते हैं।इसे नवमी के नाम से जाना जाता है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो नवरात्रि के नौ दिन उपवास रख दशवें दिन व्रत का पारण करते हैं। नवरात्र के दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था।

नवरात्रि के नौ दिन: नवरात्रि के नौ दिन माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। भक्त पहले दिन घट स्थापना करते हैं। कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त देखना बेहद ही जरूरी माना गया है। कई घरों में पूरे नौ दिन तक अखंड ज्योत भी जलाई जाती है। इन दिनों जौ उगाने की भी परंपरा है। मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त नौ दिन माता की विधि विधान पूजा करके भजन कीर्तन करते हैं।

नवरात्रि का पहला दिन: इस दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। माता शैलपुत्री हिमालय राज की पुत्री हैं। माता के इस स्वरूप की सवारी नंदी हैं। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बायें हाथ में कमल का फूल लिये हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है।

नवरात्रि का दूसरा दिन: इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का ही रूप हैं। ऐसी मान्यता है कि जब माता पार्वती अविवाहित थीं तब उनका ब्रह्मचारिणी रूप पहचान में आया था। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमण्डल और दूसरे हाथ में जपमाला है।

नवरात्रि का तीसरे दिन: इस दिन की देवी माँ चंद्रघण्टा हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माँ पार्वती और भगवान शिव के विवाह के दौरान उनका यह नाम चंद्रघण्टा पड़ा था। शिव के मस्तक पर स्थापित आधा चंद्रमा इस बात का साक्षी है।

नवरात्रिका चौथा दिन: इस दिन माँ कुष्माण्डा की पूजा का विधान है। शास्त्रों में माँ के इस स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है कि माता कुष्माण्डा शेर की सवारी करती हैं और उनकी आठ भुजाएं हैं। मां के इसी रूप के कारण पृथ्वी पर हरियाली है।

नवरात्रि का पांचवां दिन: इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा होती है। माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है। इसलिए स्कंद की माता होने के कारण माँ का यह नाम पड़ा है। मां के इस स्वरूप की चार भुजाएँ हैं। माता अपने पुत्र को लेकर शेर की सवारी करती हैं।

नवरात्रि के छठा दिन: इस दिन माँ कात्यायिनी की पूजा की जाएगी। माँ कात्यायिनी दुर्गा माता का उग्र रूप है। जो साहस का प्रतीक है। मां शेर पर सवार होती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं।

नवरात्रि का सातवां दिन: इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। ये माता का उग्र रूप है। पौराणिक कथा के अनुसार जब माँ पार्वती ने शुंभ-निशुंभ राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला हो गया था।

नवरात्रि का आठवां दिन: इस दिन माँ महागौरी की अराधना की जाती है। माता का यह रूप शांति और ज्ञान का प्रतीक है। इस दिन अष्टमी भी मनाई जाएगी।

नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन: ये दिन माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। ऐसा मान्यता है कि जो कोई माँ के इस रूप की आराधना करता है उसे सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है। माँ सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं।

चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में नौ तरह के भोग

  1. पहले दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
  2. दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.
  3. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा मां को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
  4. चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए.
  5. पांचवें दिन मां स्कंदमाता को चीनी, केला का भोग लगाना चाहिए.
  6. छठे दिन मां कात्यायनी को मीठे पान का भोग लगाना चाहिए.
  7. सातवें दिन मां कालरात्रि को गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
  8. आठवें दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए.
  9. नौवें दिन मां सिद्धिदात्री को खीर, पूरी, हलवा का भोग लगाना चाहिए.

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